अमृतसर रेलवे हादसा

आज चौड़ा बाजार, अमृतसर के पास में जिस समय रावण के पुतले का दहन हो रहा था, उसी समय रावण का पुतला गिरने के कारण लोगों में भगदड़ मच गई और वह लोग मैदान की बजाय रेलवे लाइन पर आकर इकट्ठा हो गए। रावण के पुतले के साथ साथ बाहर दागे जा रहे पटाखे और माइक के शोर के कारण दर्शनार्थियों को किसी भी प्रकार का यह जानने का मौका नहीं मिला कि क्या कोई गाड़ी ट्रैक में आ रही है। समाचार सूत्र बताते हैंं कि रावण रामलीला दहन स्थल स्थान रेलवे लाइन से लगभग 30 मीटर की दूरी में था। बताते हैं यह आयोजन विगत कई वर्षों लगातार इसी स्थान पर सफलतापूर्वक कराया जा रहा था।
दिल से यह भी खबर आ रही है कि श्रीमती सिद्धू उस समय रावण दहन को संबोधित कर रही थी। किंतु जैसे ही घटना घटी है श्रीमती नवजोत सिद्धू मौके से निकल गई हैै।
खबरों के अनुसार इस घटना में लगभग 50 व्यक्ति मारे जा चुके हैं। अभी स्पष्ट रूप से यह भी नहीं कहा जा सकता है कि इस घटना में कितने लोग मरे हैं। तमाम लोग घायल हैं और राहत कार्य चरम पर है। कोशिश की जा रही है कि अच्छी से अच्छी चिकित्सा इन लोगों को प्राप्त हो सके।
देश में लगातार घटनाएं हुआ करती हैं और शासन प्रशासन घटना के दस पांच दिन तो याद रखता है इसके बाद भूल जाता है। फिर वही कारण होते हैं और जनता मरती है। इस देश में कानून व्यवस्था तो देखने ने को नहीं मिलती है। सड़क हो या रेल ट्रेक हो लोग कानून नहीं अपने हिसाब से चलते हैं। ना तो किसी सहमति की जरूरत होती है न किसी से इजाजत ली जाती है। आयोजक एक पोस्टर, बैनर छपवा कर के जनता के पैसे से कार्यक्रम संपन्न करवा देते हैं। इन सब नियमों के अनदेखी के कारण लगातार किसी न किसी कारण से हादसे हुआ करते हैं। लेकिन बात तो वही है, आज दुख प्रकट किया गया, आज उसका निवारण किया गया और फिर वैसा ही सिलसिला चल निकलता है। आखिर कब तक सरकार अंधी बनी रहेंगी, लोग मरते रहेंगे।
आखिर कब तक सड़कों पर या रेल ट्रैक के किनारे विभिन्न प्रकार के आयोजन होते रहेंगे। यह होने वाले आयोजन धार्मिक हो सकता है या फिर सामूहिक होते हैं। इसके लिए सरकार से पहले अनुमति लेनी होती है तभी कोई कार्यक्रम हो सकते हैं। फिर विभिन्न प्रकार की दुर्घटनाओं को देखते हुए सरकार को सचेत हो जाना चाहिए और इसकी अनुमति के लिए कड़ा से कड़ा नियम बनाया जाना चाहिए। इन आयोजनों में मानक ना होने के कारण कभी कभी बड़े हादसे होते रहते हैं। फिर भी ना तो आयोजक चहते हैं और ना तो सरकार क्षेत्र की है कि आज से कम हो या फिर जन हाल ना हो ।







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